कोशिका के मुख्य भागों के नाम कार्य सहित लिखे ।

कोशियक विज्ञान
कोशिका विज्ञान
  1. कोशिकाभित्ति [ cellulose ]- सेल्यूलोज से बनी यह कोशिकाभित्ति केवल पादप कोशिकाओं में पाई जाती है। यह कोशिका को निश्चित आकृति और आकार को बनाए रखने मे मदद करती है।
  2. कोशिकझिल्ली [cell membrane ]- यह द्रव्य की बनी होती है। कोशिका के सभी अवयव एक झिल्ली द्वारा घिरी होती है इसी को कोशिका झिल्ली कहते है । यह अर्धपरगम्य होती है। इसका मुख्य काम कोशिका के अंदर और बाहर आने और जाने वाले पदार्थ का निर्धारण करना है।
  3. तारककाय [Centrosome]– यह केवल जन्तु कोशिकाओं में पाई जाती है, इसके अंदर एक या दो कण जैसी सूक्ष्म रचना होती है। जिसे centriole कहते है। कार्य -1. तारककाय जन्तु कोशिका विभाजन मे सहायता करता है। 2. कोशिका में फ्लैजिला और सीलिया के बनने में भाग लेता है। यह कोशिका का प्रचलन अंगक है।
  4. अंतः प्रर्द्रव्यी जालिका [endoplasmic reticulum or ER]- जन्तु और पादप कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य मे अत्यंत सूक्ष्म, शाखित , झिल्लीदार , अनियमित नलिकाओं का घना जाल होता है। इस जालिका को अंतः प्रर्द्रव्यी जालिका कहते है। इसका मुख्य कार्य प्रोटीन और वसा का संचरण करना है। अंतः प्रर्द्रव्यी जालिका दो प्रकार की होती है- 1. चिकनी अंतः प्रर्द्रव्यी जालिका 2. खुरदरी अंतः प्रर्द्रव्यी जालिका
  5. राइबोसोम [ ribosome]राइबोसोम को प्रोटीन का फैक्ट्री कहा जाता है क्योंकि राइबोसोम में ही प्रोटीन का संश्लेषण होता है। यह आरएनए और प्रोटीन की बनी होती है।
  6. माइटोकॉन्ड्रिया [mitochondria]- माइटोकॉन्ड्रिया यह कोशिका का श्वसन स्थल है, ऊर्जा युक्त कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण माइटोकॉन्ड्रिया मे ही होता है। जिससे काफी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है, इसलिए इसे कोशिका का शक्ति का केंद्र [powerhouse of cell ] कहते है।
  7. गोल्जीकाय या गोल्जी उपकरण – इसे कोशिकाओं के अणुओं का यातायात प्रबंधक भी कहा जाता है। यह कोशिका भित्ति और लाइसोसोम का भी निर्माण करता है। गोल्जीकाय या गोल्जी उपकरण कोशिका द्वारा संसहेलेशित प्रोटीन एवं अन्य पदार्थों को उनके सही स्थान तक पहुँचा देते है।
  8. लाइसोसोम [ Lysosome ] – इसमे एन्ज़ाइम पाए जाते है। जो मृत कोशिकाओं का पाचन करते है, इसलिए इसे आत्महत्या की थैली भी कहा जाता है।
  9. लवक [ plastid ] –

लवक या प्लैस्टिड सिर्फ पादप कोशिकाओं मे पाए जाते है और यह तीन प्रकार के होते है ।

  • अवर्णीलवक [ Leucoplast ]
  • वर्णी लवक [ Chromoplast ]
  • हरितलवक [ chloroplast ]

अवर्णीलवक-यह मुख्यतः जड़ की कोशिकाओं मे पाये जाते है और खाद्य का संचय करते है जिनमें स्टार्च, प्रोटीन, और तेल जैसे पदार्थ संचित रहते है ।

वर्णी लवक-फूलों और बीजों को विभिन रंग प्रदान करता है ।

हरितलवक– यह मुख्यतः पत्तियों मे पाया जाता है एवं भोजन-संश्लेषण में सहायक होता है ।

  1. रसधानी [vacuoles]– कोशिका की रसधानियाँ चारों ओर से एक झिल्ली से घिरी होती है, जिसे टोनोप्लास्ट कहा जाता है। रसधानियाँ छोटी या बड़ी हो सकती है। इसका कार्य जल संतुलन , अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने मे अहयोग करती है।
  2. केन्द्रक [ nucleus ]- कोशिका द्रव्य के बीच एक बड़ी गोल, गाढ़ी संरचना पाई जाती है जिसे केन्द्रक कहा जाता है। सभी जीव कोशिकाओं में केन्द्रक मौजूद रहता है। इसके चारों ओर एक दोहरी परत की झिल्ली रहती है जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते है। केन्द्रक के अंदर गाढ़ा आधा तरल भरा रहता है जिसे केन्द्रक द्रव्य कहते है। इसी मे महीन धागों जैसी रचना पाई जाती है जिसे क्रोमोटिन कहते है। यह डीएनए और प्रोटीन की बनी होती है।

Bharati Bhavan Class 9th Biology Chapter 1 Short Question Answer | Cell Extra Question Answer | भारतीभवन क्लास 9 जीवविज्ञान अध्याय 1 कोशिका

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