संतुलित आहार क्या है?

दैनिक जीवन के दौरान शरीर में वृद्धि और नये निर्माण के लिये लगने वाले ऊर्जा और ऊतकों की टूट-फूट ठीक करने के लिए संतुलित आहार का होना बहुत ही आवश्यक हो जाता है। संतुलित आहार वह आहार है जिसमें निम्न घटक होना आनिवार्य है:-

  1. कार्बोहाइड्रट
  2. वसा
  3. प्रोटीन
  4. रेशे-युक्त पदार्थ
  5. खनिज-लवण
  6. विटामिन
  7. पानी

कार्बोहाइड्रट (Carbohydrate)

कार्बोहाइड्रट कम खर्चीले और आसानी से प्राप्त होने वाले भोज्य पदार्थ है, ब्रेड, आनाज, चावल, आलू, और मांडयुक्त भोज्य-पदार्थ जैसे सेवईयां, शक्कर भी कार्बोहाइड्रट है जो गन्ने के रस से बनता है। शक्कर का उपयोग न सिर्फ चाय, मे बल्कि जेम्स, मिठाईया, चॉकलेट्स बिस्किट्स और केक मे भी किया जाता है।

यह भोजन का काफी सांद्रित प्रकार है और इसकी अधिक मात्रा मे खपत मोटापा का कारण बनती है , फलों और दूध मे फ्रक्टोस और लैक्टोस जैसी प्राकृतिक शर्कराएं पाई जाती है। कार्बोहाइड्रट का पाचन ग्लूकोस के रूप मे होता है ग्लूकोस यकृत और पेशियों में ग्लाइकोजन के रूप में संचित राहत है और जब शरीर को ऊर्जा अथवा शक्ति की जरूरत होती है तब यह ग्लूकोस के में परिवर्तित हो जाता है।


आहारीय रेशे युक्त पदार्थ ( Dietary Fibre )

रेशा एक पारिभाषिक शब्द है जो पौधों को सहारा देने वाली रचना के लिए प्रयोग किया जाता है तथा यह पौधों के सभी भागों में पाया जाता है। रेशा सब्जियों, फलों, आर गेहूँ व राई के दानों मे भी पाया जाता है। रेशे युक्त भोजन करने से बवासीर और आंत का कैंसर होने का खतरा कम हो जाता है। सामान्य संतुलित आहार में रेशेयुक्त पदार्थ होने ही चाहिए, रेशेयुक्त भोजन आंतों के उचित कार्य में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

वसा (Fats)

कार्बोहाइड्रट के बाद ऊर्जा देने वाला दूसरा मुख्य भोज्य पदार्थ वसा है। औसत आहार के लिए जाने वालें मुख्य वसा निम्नलिखित है:-

  1. मक्खन
  2. तेल व वनस्पति घी
  3. वसायुक्त माँस
  4. दूध, पनीर, और क्रीम

वसा मे कार्बोहाइड्रट या प्रोटीन से दोगुना ज्यादा अर्थात बहुत अधिक ऊर्जा होती है, वसा सम्पूर्ण शरीर में संचित होता है और जरूरत पड़ने पर ऊर्जा भंडार का काम करत है वसा के पाचन और शोषण के लिए पित्त आवश्यक होता है और पीलिया मे वसा का अवशोषण अपर्याप्त होता है जिस कारण से मल अत्यधिक और सफेद हो जाता है , यदि चोटी आंत को क्षति हो जाए तो वसा का शोषण कम होता है जिस कारण से भी मल ज्यादा मात्र मे और सफेद रंग का होने लगता है । प्रायः देखा गया है की जिन लोगों मे पैन्क्रीऐटिक रस की कमी होती है उनमे वसा का पाचन सही तरीके से नहीं होता है। शराब के सेवन करने वालों मे पैन्क्रीऐटिक रस की कमी देखि जाती है।

प्रोटीन ( Proteins )

प्रोटीन हमारे सेल्स के बिल्डिंग ब्लोक्क्स होती है कड़ी मेहनत या व्यायाम के बाद हमारी माँसपेशियों की टूट-फूट की मरम्मत व और शक्तिशाली बनाए रखने के लिए बेहतर प्रोटीन की जरूरत होती है। माँसपेशियों की वृद्धि करना और उनको संयोजित करने के अलावा प्रोटीन का काम शरीर के अंदर सारे के सारे एन्ज़ाइम को बनवाना और उनको खून में फ़्लो करवाने के साथ-साथ उनके लेवल को मैन्टैन और regulate करवाने का काम करती है । इसी वजह से प्रोटीन को प्रोटीन कहा जाता है। कुल मिलकर 20 तरह के प्रोटीन होते है जिन्हे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

  1. आवश्यक प्रोटीन (essential protein):इसमें 9 तरह के प्रोटीन होते है जो हमारे शरीर मे नहीं बनते है। जिन्हे खाद्य पदार्थ से लेना पड़ता है, ये प्रोटीन निम्न है:- Leucine, Lysine, valine, Isoleucine, Phenylalanine, Tryptophan, Methionine, Threonine, Histidine
  2. अनावश्यक प्रोटीन (Non-essential):- इसमें 11 तरह के प्रोटीन होते है जो हमारे शरीर मे ही बनते है ये प्रोटीन निम्न है:- alanine, arginine, asparagine, aspartic acid, cysteine, glutamic acid, glutamine, glycine, proline, serine व tyrosine

    सामान्य आहार मे प्रोटीन के मुख्य स्रोत निम्नलिखित है :

    1. माँस व मछली
    2. पनीर व दूध
    3. अंडे
    4. मटर, सेम, व आटा – वनस्पति प्रोटीन


खनिज लवण (Mineral Salts) (Electrolytes)

अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए कई प्रकार के के विभिन्न Electrolytes आवश्यक होते है, जिनमें से निम्नलिखित कुछ अधिक महत्वपूर्ण है :-

  1. सोडियम
  2. पोटैशियम
  3. कैल्सियम
  4. आयरन
  5. आयोडिन
  6. फ्लूराइड

सोडियम (Sodium)

लवण मे सोडियम और क्लोराइड रहते है जो शरीर के सभी द्रव्यों के मुख्य अवयव है, शरीर मे लवण के बिना पानी रुकता नहीं है। लवण युक्त पानी के कमी से मरोड़ युक्त दर्द हो सकता है जो लवण युक्त पानी पीने से दर्द समाप्त हो जाता है सोडियम के कमी के निम्न लक्षण हो सकते है :

  1. सुस्ती व अत्यधिक कमजोरी
  2. भूख कम लगना
  3. कम रक्तचाप
  4. रक्त यूरिया का ज्यादा हो जाना
  5. मरोड़ युक्त उदरीय या पेशीय दर्द


पोटैशियम (Potassium)

पोटैशियम सभी ऊतक कोशिकाओ का महतपूर्ण अवयव है , इसकी कमी के लक्षण गंभीर सुस्तता और कमजोरी, मानसिक भ्रम, पेट का फूलना , हाथ पैरों मे सुन्नत और झुन-झुनी , इसकी कमी पोटैशियम रिच फूड से पूरा किया जा सकता है जैसे 1. आलू, 2. नारियल पानी, 3. पालक, 4. केला, 5. मटर इत्यादि ।


कैल्शियम ( Calcium)

Calcium जो मुख्यतः दूध और पनीर मे रहता है, सेहत के लिए आवश्यक होता है , विशेषतः निनलिखित कारणों के लिए :

  1. अस्थियों का निर्माण
  2. दाँतों का निर्माण
  3. स्नायु व पेशियों के पर्याप्त कार्य के लिए

कैल्शियम के शोषण के लिए विटामिन D आवश्यक होता है जो आंतों से कैल्शियम का पर्याप्त मात्रा मे शोषण करता है , इस विटामिन के कमी से कैल्शियम की कमी हो जाती है और साथ ही अस्थियाँ प्रभावित होती है चूकी बाल्यावस्था मे इस विटामिन की अधिक आवश्यकता रहती है अतः इस विटामिन के कमी से रिकेट्स नामक बीमारी हो जाती है

Iron

हीमोग्लोबिन जो लाल रक्त कणिकाओं मे उपस्थित रहता है और पूरे शरीर आक्सिजन का संचार करता है वो अंशतः आयरन का बना होता है इसलिए आयरन के कमी से हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है फलस्वरूप एनीमिया हो जाता है । हमारे शरीर मे विटामिन C आयरन का अवशोषण बढ़ाता है । इसकी कमी निम्न भोज्य पदार्थ से पूरी की जा सकती है :

माँस, अंडे, मटर, सेम, इत्यादि

आयोडिन (Iodine)

आयोडिन थाइरॉक्सिन नामक हार्मोन के निर्माण के के लिए आवश्यक होता है, यह कई भोज्य पदार्थ मे पाया जाता है। इसकी कमी से घेंघा नामक रोग हो जाता है।


फ्लूराइड (Fluoride)

फ्लूराइड दाँतों के इनैमल को सही रखता है और दाँतों को सड़ने से बचाता है ,


विटामिन (Vitamins)

बेहतर सेहत के लिए विटामिन की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता होती है। जो मैटाबोलिस्म जो सही रखता है, और इसके कुछ भागों पर कुछ विशिष्ट क्रिया होती है । विटामिन दो प्रकार के होते है :-

  1. वसा मे घुलनशील विटामिन (Fat soluble Vitamins ) जैसे:- A, D, E, K
  2. जल मे घुलनशीन विटामिन ( Water Soluble Vitamins) जैसे;- B और C

पानी (जल) (water)

शरीर के कुल वजन का करीब 70% पार्टीशत भाग पानी के रूप में रहता है, 24 घंटे में पानी की कुल मात्रा सामान्य रूप से करीबन 2.5 लीटर रहती है

शरीर से पानी निम्नलिखित प्रकार से निष्कासित होता है :

  1. पसीना से
  2. मूत्र द्वारा
  3. मल द्वारा, जिसमे बहुत कम मात्रा मे पानी होता है।
  4. निःश्वासित वायु में

जब किसी भी कारण से शरीर में पानी की मात्रा में कमी आ जाती है तो इसे निर्जलीकरण कहते है , और अधिक मात्रा मे शरीर मे जमा हो जाने को इडीमा कहा जाता है। इसलिए हर इंसान को पर्याप्त मात्र मे पानी पीना ही चाहिए, पानी की कमी कुछ फल जैसे की तरबूज, नारियल पानी से भी पूरी हो जाती है निर्जलीकरण के कुछ गंभीर प्रभाव भी होते है जैसे की:

  1. पेशाब करते समय जलन होना
  2. अत्यधिक प्यास लगना
  3. गंभीर उलटी और दस्त
  4. बहुत तेज बुखार खासकर गर्मियों में,
  5. बेहोशी उत्पन्न होना
  6. सुस्ती आना
  7. त्वचा का लचीलापन कम हो जाना

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


 

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